जिदंगी जैसे रुक् सी ——

 

जिंदगी जैसे रूक सी गई है,
सोच जैसे थम सी गई हैl
घड़ी की टिक-टिक तो वहीं है,
पर वक्त जैसे थम गया है।
निराश नहीं हूं मै, बस सोच रहीं हूं,🤔
इतना क्यों भाग रहे थे हम,
जो चाहिए था जीने के लिए,
वो सब तो अब भी मिल ही रहा है।
थे एक दूसरे के पास, साथ नहीं थे
फ़र्ज़ और जिम्मेदारी थी,
पर एहसास नहीं थेl
कहीं ये उस के समझाने का तरीका तो नहीं,
हम सब यूं ही उसे कोस रहे हैl
करते हैं हम पल पल हर पल गलतियां,
पर तू तो बक्षणहार हैं, हम सब को बख्श दे।
– मनदीप कौर नोना